Saturday 28 January 2017

नोटबंदी

पिछले वर्ष २०१६ में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा  " नोटबंदी "  ,जी हाँ यह वो साहसिक क़दम था जिसको लेना सरकार के लिए आसान न था, किंतु लिया गया .....देश हित के लिए , समाज हित के लिए , भारत के भविष्य के लिए ताकि भारत से भ्रष्टाचार रूपी दानव का संहार किया जा सके । ये इतना आसान भी नहीं है ,कुछ-कुछ रक्तबीज दैत्य जैसा है जिसकी एक भी बूँद ज़मीन पर पड़ते ही वैसे ही असंख्य दानव पैदा हो जाते हैं , इसलिए इसे समूल नष्ट करना आवश्यक है । सरकार के इस फ़ैसले से देश की जनता को असंख्य समस्याओं से जूझना पड़ा लोगों की ,सुवह से शाम लाइनों में बीतने लगी उसके बावजूद निर्धारित पैसा नहीं मिलता । जिन घरों में शादियाँ थीं उनकी स्थिति तो और भी दयनीय हो गई जो लोग पैसा निकाल चुके थे उनका वो पैसा बेकार हो गया क्यूँकि वो चलन से बाहर हो गया दूसरा निकालने के लिए जमा करेंगे तो वो बापस २४ हजार से अधिक निकाल नहीं पायेंगें ,शादी जैसे बड़े कार्य १०,२० या ५० हजार में नहीं होते ये तो सभी जानते है, हालाँकि मैंने समाचार पत्र में पढ़ा था कि जिस घर में शादी है उसका मुखिया ढाई लाख तक रूपया निकाल सकेगा किंतु लोग शादी का कार्ड लिए घूमते रहे उन्हे कोई पैसा नहीं मिला ,कोई अधिकारी किसी भी तरह की बैंक से सम्बंधित समस्या को सुनने के लिए तैयार ही नहीं था । ख़ैर ! जनता ने साहस के साथ इनका सामना किया हार नहीं मानी डटे रहे अंतत:ATM से बाहर लम्बी लाइनों का अंत हुआ, जीवन पुन: सामान्य हुआ ।
अब सवाल उठता है कि क्या नोटबंदी का वास्तव में फ़ायदा हुआ ?? क्या काला धन सामनें आया ?? क्या भ्रष्टाचार का अंत हुआ ?? लोगों ने रिश्वत लेना बंद कर दिया ?? नक़ली नोट छपने बंद हो गये ?? क्या आतंकियों पर इसका प्रभाव पड़ा ?? पेटीएम जैसी कम्पनियों ने छोटे छोटे ट्राजेंक्शन पर टैक्स लेकर ग़रीब इंसान को तंग किया । ०५ रू का सामान लेने पर ०२रू टैक्स देकर ०७रू का भुगतान करना पड़ा ,इन सब चीज़ों से ग़रीब इंसान को कैसे निजात दिलाई जाये ये सरकार को सोचना पड़ेगा । अनेकों सवाल हैं जिनका उत्तर भविष्य के गर्त में है, कि क्या नोटबंदी एक सही फ़ैसला था या नहीं ??

No comments:

Post a Comment