Sunday 26 March 2017

क्या बेरोज़गारी आतंकवाद का कारण है ?

पिछले कुछ महिनों से आतंकी संगठन isis की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं, जिनका नतीजा पुखरायां रेल हादसा, भोपाल पैसेंजर ट्रेन ब्लास्ट  व लखनऊ ठाकुरगंज में आतंकी से पुलिस मुठभेड़, यदि इन सभी को एक कड़ी में जोड़े तो पता चलता है कि सभी आतंकी एक दूसरे से जुड़े , बेरोज़गार , घर से निष्कासित , युवा व मुसलमान थे । यहाँ दो बातें कानन हैं बेरोज़गारी व मुसलमान , लेकिन इसका ये तात्पर्य नहीं कि यदि आप बेरोज़गार हैं तो आतंकवादी बन जाएँ , घर में विद्रोह करें ? अब प्रश्न ये उठता है कि मुस्लिम बेरोज़गार युवा ही आतंकी क्यूँ बनता है ? ये एक बहुत बड़ा प्रश्न है? मुसलमान क्यूँ उस मिट्टी को ,हवा को ,पानी को, अपना नहीं मानता ? यहाँ वो रहता है यहीं से उसको सब कुछ मिलता है फिर भी उसको अपना नहीं समझता आख़िर क्यूँ ??
यहाँ मै भारत के हर उस आतंकी से कहना चाहूँगी कि उनकी करतूतों से उनके परिवार वाले कितना शर्मिन्दा होते हैं । आस पड़ोस , रिश्तेदार व देश में हर कोई उनके कारण , उनके परिवार को आतंकी का परिवार कह कर सम्बोधित करता है , कितना कष्टप्रद होता होगा उस पिता के लिए, उस भाई के लिए जिसने अपनें देश के ख़िलाफ़ कभी एक शब्द न बोला हो, भारत को अपना मुल्क मानता हो , उसे आतंकी का पिता कह कर संम्बोधित किया जाए तो उसकी पीढ़ा का अंदाज़ा तू नहीं लगा सकता!!!
आतंक के रास्ते पर इन लोगों को  सदैव भय, अपमान, एकांकीपन, तिरस्कारपूर्ण जीवन , जेल व अंत में मृत्यु के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलेगा ।
अंत में इतना ही कहना चाहूँगी कि बेरोज़गारी आतंकवादी बननें का कारण नहीं है , यदि ऐसा होता तो हिंदू बेरोजगार युवा  भी आतंकवाद के रास्ते पर चल पड़ता । ये एक दूषित मानसिकता है , उन युवाओं के मन मस्तिष्क पर जो भारत को अपना देश नहीं समझते । क्यूँ भूल जाते हो शहीद अश्फ़ाक उल्ला खाँ को ?क्यूँ भूल जाते हो मौलाना आज़ाद को ? कभी इनको पढ़ा होता , कभी इनको सुना होता तो शायद तुम आतंकी नही होते ????? इनसे कुछ सीखते तो शायद इनकी पंक्ति में तुम भी खड़े होते और तुम्हारा परिवार व देश तुम पर गर्व करता ।
                         जय हिंद !

Tuesday 21 March 2017

फ़तवा

मुस्लिम महिलाएँ फ़तवा क्यूँ नहीं जारी करतीं ?
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फ़तवा क्या है ? विचार व आचरण के द्वारा मुस्लिम धर्म के विरूद्ध कार्य ,
आमतौर पर ऐसा ही कहते हैं फ़तवा जारी करने वाले। आज तक किसी मुस्लिम महिला ने किसी पुरूष के ख़िलाफ़ फ़तवा क्यूँ नहीं जारी किया ?? क्या फ़तवा जारी करने का ठेका सिर्फ़ और सिर्फ़ पुरूषों का है ???

Wednesday 8 March 2017

सृजनकर्ता

Today is international women's day, I have written a few lines on it. These lines are dedicated to all women of the world .

                   सृजनकर्ता
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       हे विश्व की सृजनकर्ता
       तू आज फिर मुखर हो जा
       खुलकर तू सामनें आ
       विश्व को फिर से दिखा
       विद्धोत्मा सा वौद्ध तुझमें
       सीता सी है सहनशीलता
       त्याग में तू उर्मिला सी
       ममता का तू है दिया
       हे विश्व की--------
       तेज़ तुझमें द्रौपदी सा
       करूणामयी तू यशोधरा
       विश्व को एहसास करा
       तुझसे है ये विश्व सारा
       यग्य की आहुति बनकर
       उदंडता का नाश कर जा
      हे विश्व की सृजनकर्ता
      तू आज फिर मुखर हो जा ।

   -- वंदना सिंह
( कापीराईट सुरक्षित )

Monday 6 March 2017

नारी

 तू नारी है
बेचारी नहीं
न लाचारी है
न मजबूरी
दुनियाँ तुझसे
फिर क्यूँ फ़िकर
मत डर तू
आगे बढ़
हक के लिए
तू लड़ झगड़
प्रेम दया
तेरे शस्त्र हैं
लज्जा हया
तेरे अस्त्र हैं
इनको तू साथ रख
शास्त्रों को भी
याद रख
तू पढ़, तू बढ़
विश्व विजय कर
गलत मत सह
प्रतिरोध कर
प्रतिकार कर
अपनी शक्ति को
पहचान कर
प्रतिदिन निखर
तू ब्रह्मा है
तू सृजनकर्ता
इतनी सशक्त
फिर क्यूँ डर
हिम्मत रख
आगे बढ़
दुनियाँ मे कुछ
नाम कर
तुझसे ये दुनियाँ है
बस इतना याद रख
तू नारी है
बेचारी नहीं
-  वंदना सिंह
(कापी राईट सुरक्षित)
 ०८ मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को समर्पित