Saturday 4 February 2017

रानी पद्मावती कौन थी ?

महारानी पद्मावती चित्तौड़ के महाराणा रत्न सिंह की पत्नी थी । वह अत्यंत खूबसूरत थी उनकी ख़ूबसूरती की चर्चा चारों तरफ थी । जब दिल्ली के शासक अलाउद्दीन ख़िलजी ने  रानी पद्मावती की सुंदरता के विषय में सुना तो वह उनको देखने के लिए बेताब हो गया , उसने अपनी इच्छा अपने मंत्रियों को बताई ,उन सब ने मिल कर एक योजना बनाई कि महाराणा रतन सिंह को मित्रता का संदेश भेजा जाय कि वह उनसे दोस्ती करना चाहते है किंतु बदले में उनकी पत्नी पद्मावती को देखना चाहेंगे । जब यह संदेश चित्तौड़ पहुँचा तो महाराणा की राजसभा में सभी ने इसका विरोध किया कि यह सम्भव नही किंतु कुछ मंत्रियों नें सुझाव दिया कि कूटनीति व राजनीति के तहत अगर उसकी मित्रता को ठुकरा दिया तो वो चित्तौड़ का शत्रु बन जायेगा जोकि राज्य हित में न होगा काफी विचार विमर्श के पश्चात यह रास्ता निकाला गया कि एक शीशा लगाया जाये और महारानी दूर से उसके सामने से निकल जायेंगीं और इस तरह ख़िलजी उन्हे देख लेगा और रानी को सामने भी नहीं आना पड़ेगा ,किंतु महारानी को इस तरह दिखाना सेनापति गोरा व उनके भतीजे बादल को स्वीकार नहीं था  और उन्होंने इसका विरोध किया ,किंतु उनकी नहीं सुनी गई जिससे वह नाराज़ हो कर सभा से चले गये । योजनानुसार रानी पद्मावती को शीशे में दिखाया गया, ख़िलजी रानी की सुंदरता को देखता ही रह गया उसनें आज तक ऐसी स्त्री नहीं देखी थी ।अब तो वह रानी को हर हाल मे हासिल करना चाहता था। उस दिन तो वह चला गया किंतु कुछ दिनों पश्चात उसनें महाराणा रतन सिंह को भोज पर बुलाया और उन्हे बंदी बना लिया इसके साथ ही एक संदेश चित्तौड़ भेजा कि यदि अपने राजा को सकुशल वापस चाहते हो तो रानी पद्मावती का डोला दिल्ली भेज दो नहीं तो तुम्हारे राणा का सर काट भेज देंगे । जब यह संदेशा चित्तौड़ पहुँचा तो राजपूतों की तलवारें खिंच गईं किंतु अब क्या किया जाये प्रश्न ये था ? महारानी पद्मावती ने गुप्तचरों को भेज कर पता लगवाया कि सेनापति गोरा कहाँ हैं ? पता चलते ही रानी वहाँ गई और सारा वृतांत सुनाया ,ये सब सुनकर सेनापति गोरा की भुजाएँ फड़कने लगीं आँखों में अंगार उतर आए और वह तत्काल महारानी के साथ महल आ गये। योजना बनाई ख़िलजी को संदेश भेजा कि रानी पद्मावती अपनी ७०० सेविकाओं के साथ आ रही है। ७०० डोली तैयार की गईं उनमें रानी व सेविकाओं की जगह वीर सैनिकों को बैठाया गया ,कहारो के भेष में सैनिक लगे इस तरह सेनापति गोरा व बादल अपनें वीर सैनिकों के साथ दिल्ली पहुँचे  ,ख़िलजी को संदेश भिजवाया कि रानी पद्मावती अपनी सेविकाओ के साथ आ गई है , किंतु उनकी शर्त है कि वह एक वार अपने पति से मिलना चाहती है उसके बाद वह ख़िलजी की सेवा में आ जायेंगीं, ख़िलजी तो यह जान कर ही वौरा गया कि रानी पद्मावती आ गई और उसने तुरंत आदेश दिया कि रानी को रतन सिंह से मिलवा दिया जाये इस तरह जब सेनापति महा राणा के सामने पहुँचे तो राणा की आँखों में आँसू आ गये और उन्होंने सेनापति गोरा को गले लगा लिया । राणा को सेनापति ने अपने कहार जोकि सैनिक थे के साथ वहाँ से बाहर निकाला किंतु ख़िलजी का सेनापति को भनक लग गई और उसने नगाड़े बज बा कर सैनिकों को सावधान किया फिर क्या था डोलियों से सैनिक निकल पड़े भयानक युद्ध हुआ जिसमें  सेनापति गोरा व बादल ने ख़िलजी की सेना को तब तक रोके रखा जब तक राणा रतन सिंह चित्तौड़ की सीमा में न पहुँच गये ,किंतु समय से समाचार न पहुँच पाने पर रानी को लगा कि योजना असफल हो गई तो उन्होंने १६००० हजार स्त्रियों के साथ जौहर ले लिया , ये अब तक का सबसे बड़ा जौहर था ।
अब प्रश्न ये है कि यदि कोई भी व्यक्ति इस गौरवशाली इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके रानी पद्मावती को किसी मुसलमान शासक के साथ प्रेम प्रसंग दिखाये तो क्रोध आना स्वाभाविक है। यह हमारा गौरवशाली इतिहास है जहाँ वलिदान राजपूतों की परम्परा रही है, स्त्रियाँ उनका स्वाभिमान है ,उनकी आवरू हैं । उनके व्यक्तित्व के साथ छेड़छाड़ कदापि स्वीकार नहीं ।
- वंदना सिंह

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