Thursday 9 November 2017

Ma

मां
बड़ी बड़ी चीजें
बड़े बड़े नाम
बड़ी बड़ी जागीर
बड़े बड़े इनाम
पर सब बौने
ही लगते है
जब आता है
माँ का नाम
बहुत छोटा शब्द है
पर उसमे समाया
है ब्रहम्माण्ड
जग का सबसे
chota shabd
जिसे कहते है
  माँ
--- वंदना सिंह

Sunday 26 March 2017

क्या बेरोज़गारी आतंकवाद का कारण है ?

पिछले कुछ महिनों से आतंकी संगठन isis की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं, जिनका नतीजा पुखरायां रेल हादसा, भोपाल पैसेंजर ट्रेन ब्लास्ट  व लखनऊ ठाकुरगंज में आतंकी से पुलिस मुठभेड़, यदि इन सभी को एक कड़ी में जोड़े तो पता चलता है कि सभी आतंकी एक दूसरे से जुड़े , बेरोज़गार , घर से निष्कासित , युवा व मुसलमान थे । यहाँ दो बातें कानन हैं बेरोज़गारी व मुसलमान , लेकिन इसका ये तात्पर्य नहीं कि यदि आप बेरोज़गार हैं तो आतंकवादी बन जाएँ , घर में विद्रोह करें ? अब प्रश्न ये उठता है कि मुस्लिम बेरोज़गार युवा ही आतंकी क्यूँ बनता है ? ये एक बहुत बड़ा प्रश्न है? मुसलमान क्यूँ उस मिट्टी को ,हवा को ,पानी को, अपना नहीं मानता ? यहाँ वो रहता है यहीं से उसको सब कुछ मिलता है फिर भी उसको अपना नहीं समझता आख़िर क्यूँ ??
यहाँ मै भारत के हर उस आतंकी से कहना चाहूँगी कि उनकी करतूतों से उनके परिवार वाले कितना शर्मिन्दा होते हैं । आस पड़ोस , रिश्तेदार व देश में हर कोई उनके कारण , उनके परिवार को आतंकी का परिवार कह कर सम्बोधित करता है , कितना कष्टप्रद होता होगा उस पिता के लिए, उस भाई के लिए जिसने अपनें देश के ख़िलाफ़ कभी एक शब्द न बोला हो, भारत को अपना मुल्क मानता हो , उसे आतंकी का पिता कह कर संम्बोधित किया जाए तो उसकी पीढ़ा का अंदाज़ा तू नहीं लगा सकता!!!
आतंक के रास्ते पर इन लोगों को  सदैव भय, अपमान, एकांकीपन, तिरस्कारपूर्ण जीवन , जेल व अंत में मृत्यु के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलेगा ।
अंत में इतना ही कहना चाहूँगी कि बेरोज़गारी आतंकवादी बननें का कारण नहीं है , यदि ऐसा होता तो हिंदू बेरोजगार युवा  भी आतंकवाद के रास्ते पर चल पड़ता । ये एक दूषित मानसिकता है , उन युवाओं के मन मस्तिष्क पर जो भारत को अपना देश नहीं समझते । क्यूँ भूल जाते हो शहीद अश्फ़ाक उल्ला खाँ को ?क्यूँ भूल जाते हो मौलाना आज़ाद को ? कभी इनको पढ़ा होता , कभी इनको सुना होता तो शायद तुम आतंकी नही होते ????? इनसे कुछ सीखते तो शायद इनकी पंक्ति में तुम भी खड़े होते और तुम्हारा परिवार व देश तुम पर गर्व करता ।
                         जय हिंद !

Tuesday 21 March 2017

फ़तवा

मुस्लिम महिलाएँ फ़तवा क्यूँ नहीं जारी करतीं ?
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फ़तवा क्या है ? विचार व आचरण के द्वारा मुस्लिम धर्म के विरूद्ध कार्य ,
आमतौर पर ऐसा ही कहते हैं फ़तवा जारी करने वाले। आज तक किसी मुस्लिम महिला ने किसी पुरूष के ख़िलाफ़ फ़तवा क्यूँ नहीं जारी किया ?? क्या फ़तवा जारी करने का ठेका सिर्फ़ और सिर्फ़ पुरूषों का है ???

Wednesday 8 March 2017

सृजनकर्ता

Today is international women's day, I have written a few lines on it. These lines are dedicated to all women of the world .

                   सृजनकर्ता
      -------------------------
       हे विश्व की सृजनकर्ता
       तू आज फिर मुखर हो जा
       खुलकर तू सामनें आ
       विश्व को फिर से दिखा
       विद्धोत्मा सा वौद्ध तुझमें
       सीता सी है सहनशीलता
       त्याग में तू उर्मिला सी
       ममता का तू है दिया
       हे विश्व की--------
       तेज़ तुझमें द्रौपदी सा
       करूणामयी तू यशोधरा
       विश्व को एहसास करा
       तुझसे है ये विश्व सारा
       यग्य की आहुति बनकर
       उदंडता का नाश कर जा
      हे विश्व की सृजनकर्ता
      तू आज फिर मुखर हो जा ।

   -- वंदना सिंह
( कापीराईट सुरक्षित )

Monday 6 March 2017

नारी

 तू नारी है
बेचारी नहीं
न लाचारी है
न मजबूरी
दुनियाँ तुझसे
फिर क्यूँ फ़िकर
मत डर तू
आगे बढ़
हक के लिए
तू लड़ झगड़
प्रेम दया
तेरे शस्त्र हैं
लज्जा हया
तेरे अस्त्र हैं
इनको तू साथ रख
शास्त्रों को भी
याद रख
तू पढ़, तू बढ़
विश्व विजय कर
गलत मत सह
प्रतिरोध कर
प्रतिकार कर
अपनी शक्ति को
पहचान कर
प्रतिदिन निखर
तू ब्रह्मा है
तू सृजनकर्ता
इतनी सशक्त
फिर क्यूँ डर
हिम्मत रख
आगे बढ़
दुनियाँ मे कुछ
नाम कर
तुझसे ये दुनियाँ है
बस इतना याद रख
तू नारी है
बेचारी नहीं
-  वंदना सिंह
(कापी राईट सुरक्षित)
 ०८ मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को समर्पित

Friday 17 February 2017

चेतक एक घोड़ा ही नही अपितु वीर सैनिक था

महाराणा प्रताप व अकबर की सेना के साथ जब हल्दी घाटी में युद्ध हुआ तब मुग़ल शासक की फ़ौज बडी व आधुनिक शस्त्रों से सुसज्जित थी । उसके सेनापति मान सिंह थे जो कि हाथी पर सवार थे । दोनों सेनाओं में लगभग ६ घण्टे युद्ध हुआ । महाराणा ने अपनें घोड़े को हाथी का मुखौटा लगा रखा था, मान सिंह को हाथी पर देख राणा ने चेतक को एड लगाई चेतक मान सिंह के हाथी के मस्तक पर चढ़ गया किंतु मान सिंह हौदे में छिप गया और उसका महावत मारा गया चेतक के मुखौटे में तलवार बंधी थी ,नीचे उतरते समय  चेतक का उस तलवार से पैर कट गया और महाराणा दुश्मनों से घिर गये परंतु उनके वफ़ादार सरदार झाला मान सिंह उन तक पहुँच गये और उन्होंने ज़बरदस्ती राणा का मुकुट अपनें सर पर रख कर अकबर की सेना को भ्रमित कर दिया और राणा को वहाँ से निकाल दिया ,चेतक महाराणा को वहाँ से घायल अवस्था में भी सुरक्षित स्थान  तक ले गया अंतत: उसकी मृत्यु हो गई । महाराणा ने उस का अंतिम संस्कार किया बाद में उसकी वहीं पर समाधि बनवाई , वह स्थान हल्दीघाटी से लगभग ५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।

माँ कामाख्या देवी व रहस्य

माँ कामाख्या देवी का मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के नीलांचल पर्वत पर स्थित है । यह सिद्ध मंदिर माँ शक्ति के ५१ शक्ति पीठों में से एक है।कहते हैं कि यहाँ पर माँ सती की योनि गिरी थी ( जब माता  सती ने अपने पिता के घर यग्य में अपने पति भगवान शंकर का अपमान देखा तब उन्होंने उसी यग्य में कूद कर आत्मदाह कर लिया था उसके पश्चात भगवान शंकर उनके जले हुए शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड मे घूम रहे थे अशांत थे उनके दुख को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता के जले हुए शरीर को काट काट कर अलग किया था ।माता को ५१ अंगों में काट कर अलग किया गया था वो अंग जहाँ जहाँ गिरे वो शक्ति पीठ बन गये) जिस कारण इन्हें कामाख्या कहा जाता है । इस मंदिर में मूर्ति के स्थान पर एक गढ्ढा है उसी की पूजा अर्चना होती है जिससे निरंतर पानी निकलता रहता है। जिस तरह माह में स्त्रियों को मासिक धर्म आता है ठीक उसी भाँति उस गढ्ढे से भी तीन दिन लाल रंग का पानी निकलता है उस दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं लेकिन जब मंदिर खुलता है तो भक्त लाल रंग के पानी को देखते हैं । यह एक रहस्य है जिसको कोई नही जानता ?
जय माता की 

Monday 13 February 2017

वोट किसे दें ???????

चुनाव का मौसम है , मतदाता काफी कनफ्यूज है कि वोट किस को दिया जाय ? मतदाता वोट देना चाहता है पर दिक़्क़तें   काफी हैं, जैसे- जिस पार्टी को वोट देना चाहता है उसका प्रत्याशी ठीक नहीं मसलन उसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं , उसनें क्षेत्र का कोई विकास नहीं किया , अपने क्षेत्रवासियों की ज़रूरत पर मदद नहीं करता , इसी तरह की असंख्य बातें हैं , अब वह इस तरह के व्यक्ति को वोट नहीं देना चाहता परन्तु इसकी पार्टी अच्छी है उसको सरकार में लाना चाहता है फिर सोंचता है कि अगर मैं इस गलत उम्मीदवार को वोट देकर सरकार ले आता हूँ तो इस व्यक्ति के अत्याचार तो और बढ़ जायेंगे और ज़रूरत पड़ने पर कोई काम भी नहीं आयेगा , समस्या विकट है क्या करे ?????
दूसरी तरफ प्रत्याशी ठीक है उसको वोट देना चाहता है किंतु पार्टी ठीक नहीं , मतदाता किसी भी सूरत में उसकी पार्टी को सरकार के रूप में नहीं देखना चाहता , यहाँ भी कनफ्यूजन है क्या करे ?????
ऐसे बहुत से मतदाता हैं जोकि उपरोक्त समस्या से ग्रस्त हैं । वह सोंचते हैं कि क्या वोट देना जो होगा देखा जायेगा मेरा तो योगदान नहीं रहेगा गलत आदमी या गलत पार्टी को चुननें में । क्या ये समस्या का निदान है ?????

Friday 10 February 2017

हवाओं को पता न चले

फूलों से सीखा मैंने
देखो मुस्काना
हवाओं को पता न चले
तुम धीरे से आना
  गरम है घर की छत
  तुम पायल न छनकाना
  हाथों की चूड़ी को
  चूनर से ढक आना
हवाओं को पता न चले
तुम धीरे से आना
फूलों से सीखा मैंने
देखो मुस्काना
  खिड़की पर अपनी तुम
  बालों को सुलझाना
  बिंदिया चमके माथे पर
  लगा के काजल आना
हवाओं को पता न चले
तुम धीरे से आना
फूलों से सीखा मैने
देखो मुस्काना
  लहंगा चोली चूनर
  पहन के तुम आना
  पायल चूड़ी बिंदी काजल
  इनको भी ले आना
हवाओं को पता न चलें
तुम धीरे से आना
फूलों से सीखा मैंने
देखो मुस्काना !
-वंदना सिंह


  

Sunday 5 February 2017

चुनाव

यू .पी .का चुनाव हमेशा से खास रहा है, चाहे ग्राम प्रधान का चुनाव हो या ब्लाक प्रमुख या फिर एम .एल .ए .का चुनाव ,ख़ास होना चुनाव का स्वभाव है। सभी पार्टियाँ ज़ोर शोर से प्रचार में लगीं हैं , अपनी अपनी ख़ूबियाँ गिनवा रहीं हैं, वोटरों को रिझा रही हैं, तरह तरह के वादे कर रही हैं, यहाँ जनता मूक दर्शक बन कर चुप चाप सुन रही है , ऐसा नहीं कि वो कुछ जानती नहीं ,जी नही ,वह सब जानती है, अभी नेताओं के बोलने का समय है मतदान के दिन जनता बोलेगी और ये नेता मूक दर्शक बन उसकी ओर निहारेंगें । समय का फेर है जो कि समय चक्र की भाँति चलता ही रहता है । हमारा सौभाग्य है कि हम गणतंत्र देश के वासी हैं हमें वोट देने का अधिकार है इसलिए देशवासियों अपने मत का प्रयोग अवश्य करें ।अपने लिए ....,अपने प्रदेश के लिए ....,अपने देश के लिए ।
            जय हिंद !

Saturday 4 February 2017

रानी पद्मावती कौन थी ?

महारानी पद्मावती चित्तौड़ के महाराणा रत्न सिंह की पत्नी थी । वह अत्यंत खूबसूरत थी उनकी ख़ूबसूरती की चर्चा चारों तरफ थी । जब दिल्ली के शासक अलाउद्दीन ख़िलजी ने  रानी पद्मावती की सुंदरता के विषय में सुना तो वह उनको देखने के लिए बेताब हो गया , उसने अपनी इच्छा अपने मंत्रियों को बताई ,उन सब ने मिल कर एक योजना बनाई कि महाराणा रतन सिंह को मित्रता का संदेश भेजा जाय कि वह उनसे दोस्ती करना चाहते है किंतु बदले में उनकी पत्नी पद्मावती को देखना चाहेंगे । जब यह संदेश चित्तौड़ पहुँचा तो महाराणा की राजसभा में सभी ने इसका विरोध किया कि यह सम्भव नही किंतु कुछ मंत्रियों नें सुझाव दिया कि कूटनीति व राजनीति के तहत अगर उसकी मित्रता को ठुकरा दिया तो वो चित्तौड़ का शत्रु बन जायेगा जोकि राज्य हित में न होगा काफी विचार विमर्श के पश्चात यह रास्ता निकाला गया कि एक शीशा लगाया जाये और महारानी दूर से उसके सामने से निकल जायेंगीं और इस तरह ख़िलजी उन्हे देख लेगा और रानी को सामने भी नहीं आना पड़ेगा ,किंतु महारानी को इस तरह दिखाना सेनापति गोरा व उनके भतीजे बादल को स्वीकार नहीं था  और उन्होंने इसका विरोध किया ,किंतु उनकी नहीं सुनी गई जिससे वह नाराज़ हो कर सभा से चले गये । योजनानुसार रानी पद्मावती को शीशे में दिखाया गया, ख़िलजी रानी की सुंदरता को देखता ही रह गया उसनें आज तक ऐसी स्त्री नहीं देखी थी ।अब तो वह रानी को हर हाल मे हासिल करना चाहता था। उस दिन तो वह चला गया किंतु कुछ दिनों पश्चात उसनें महाराणा रतन सिंह को भोज पर बुलाया और उन्हे बंदी बना लिया इसके साथ ही एक संदेश चित्तौड़ भेजा कि यदि अपने राजा को सकुशल वापस चाहते हो तो रानी पद्मावती का डोला दिल्ली भेज दो नहीं तो तुम्हारे राणा का सर काट भेज देंगे । जब यह संदेशा चित्तौड़ पहुँचा तो राजपूतों की तलवारें खिंच गईं किंतु अब क्या किया जाये प्रश्न ये था ? महारानी पद्मावती ने गुप्तचरों को भेज कर पता लगवाया कि सेनापति गोरा कहाँ हैं ? पता चलते ही रानी वहाँ गई और सारा वृतांत सुनाया ,ये सब सुनकर सेनापति गोरा की भुजाएँ फड़कने लगीं आँखों में अंगार उतर आए और वह तत्काल महारानी के साथ महल आ गये। योजना बनाई ख़िलजी को संदेश भेजा कि रानी पद्मावती अपनी ७०० सेविकाओं के साथ आ रही है। ७०० डोली तैयार की गईं उनमें रानी व सेविकाओं की जगह वीर सैनिकों को बैठाया गया ,कहारो के भेष में सैनिक लगे इस तरह सेनापति गोरा व बादल अपनें वीर सैनिकों के साथ दिल्ली पहुँचे  ,ख़िलजी को संदेश भिजवाया कि रानी पद्मावती अपनी सेविकाओ के साथ आ गई है , किंतु उनकी शर्त है कि वह एक वार अपने पति से मिलना चाहती है उसके बाद वह ख़िलजी की सेवा में आ जायेंगीं, ख़िलजी तो यह जान कर ही वौरा गया कि रानी पद्मावती आ गई और उसने तुरंत आदेश दिया कि रानी को रतन सिंह से मिलवा दिया जाये इस तरह जब सेनापति महा राणा के सामने पहुँचे तो राणा की आँखों में आँसू आ गये और उन्होंने सेनापति गोरा को गले लगा लिया । राणा को सेनापति ने अपने कहार जोकि सैनिक थे के साथ वहाँ से बाहर निकाला किंतु ख़िलजी का सेनापति को भनक लग गई और उसने नगाड़े बज बा कर सैनिकों को सावधान किया फिर क्या था डोलियों से सैनिक निकल पड़े भयानक युद्ध हुआ जिसमें  सेनापति गोरा व बादल ने ख़िलजी की सेना को तब तक रोके रखा जब तक राणा रतन सिंह चित्तौड़ की सीमा में न पहुँच गये ,किंतु समय से समाचार न पहुँच पाने पर रानी को लगा कि योजना असफल हो गई तो उन्होंने १६००० हजार स्त्रियों के साथ जौहर ले लिया , ये अब तक का सबसे बड़ा जौहर था ।
अब प्रश्न ये है कि यदि कोई भी व्यक्ति इस गौरवशाली इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके रानी पद्मावती को किसी मुसलमान शासक के साथ प्रेम प्रसंग दिखाये तो क्रोध आना स्वाभाविक है। यह हमारा गौरवशाली इतिहास है जहाँ वलिदान राजपूतों की परम्परा रही है, स्त्रियाँ उनका स्वाभिमान है ,उनकी आवरू हैं । उनके व्यक्तित्व के साथ छेड़छाड़ कदापि स्वीकार नहीं ।
- वंदना सिंह

Thursday 2 February 2017

फ़िल्म समीक्षा "क़ाबिल "

"क़ाबिल "-ऋतिक रोशन व यामी गौतम की वो फ़िल्म है जिसने इन दोनों के फ़िल्मी ग्राफ़ को ऊपर उठाया है, सबसे अधिक तारीफ़ के पात्र इसके डायरेक्टर संजय गुप्ता हैं ।ऋतिक एंग्री यंग मैन रूप में ज़बरदस्त लगे हैं । इस फ़िल्म में नायक व नायिका दोनों ही अंधे हैं इसके बावजूद वो कितनी सहजता से जीवन यापन कर रहे हैं वह देखने वाला है । शुरू में पता ही नहीं चलता कि वो अंधे हैं ,यही डायरेक्टर का कमाल है । फ़िल्म में ऋतिक ने हीरो वाले सभी काम किये ।उनकी पत्नी के साथ जो अन्याय हुआ,उसका विरोध करना,अन्याय के विरूद्ध लड़ना बिल्कुल रियल लगा कुछ भी बनावटी नही महसूस हुआ । संगीत की दृष्टि से भी फ़िल्म ठीक ठाक है । कहानी अच्छी है,अभिनय तो लाजवाब है, कुल मिला कर फ़िल्म अच्छी है ।

Wednesday 1 February 2017

बसंत

बसंत
      ------------
पेड़ों ने सूखे पत्तों को
हिला हिला कर गिरा दिया
नई कोंपलों ने डालों को
देखो नव जीवन दिया
प्रस्फुटित हो रही किरणों को
सूरज ने है नया किया
नई हवाओं नई फ़िज़ाओं
ने बसंत को नव बसंत किया

मखमली व्यारों ने
मधुमास का एहसास दिया
सुगंधित हो उठा वातावरण
सूखे पेड़ों को हरा किया
जीवन को जीने के लिए
नूतन प्रेम का पाश दिया
नई हवाओं नई फ़िज़ाओं
ने बसंत को नव बसंत किया ।
-वंदना सिंह
बसंत पंचमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ

Sunday 29 January 2017

बिग बास 10 विजेता ???

बिग बास  10 एक एेसा रियलिटी शो है जो कि विवादों से ही शुरू होता है । लड़ाई झगड़ा इस शो का मुख्य फार्मेट है । इसके प्रतिभागी भिन्न भिन्न क्षेत्रों से आते हैं किन्तु इस बार इण्डिया वाले के नाम से अपराधी, परिष्कृत , फूहड़ , लोगों को मौक़ा दिया गया जिन्होंने पूरे देश के आम आदमी को रिप्रजेन्ट किया जो कि पूर्णत: अनुचित था ,क्या ऐसे लोगों की संख्या देश मे ज्यादा जो उन्हे मौक़ा दिया गया देश को बदनाम करने के लिए क्योंकि टी वी प्रोग्राम पूरी दुनियाँ में देखे जाते है । बिग बास को पता था कि स्वामी ओम कैसा व्यक्ति है ऐसे गिरे हुए इंसान को पूरे देश को रिप्रजेन्ट करने का मौक़ा बिग बास कैसे दे सकते हैं ? उसका चयन बिल्कुल ही गलत था , वही प्रियंका जग्गा जो कि एक अनकल्चर्ड महिला थी उसको भी शो में लाकर प्रदर्शित किया कि ये एक विवादों से घिरा रहने वाला शो है । इन्हीं कुछ गिने चुने इण्डिया वालों की वजह से सेलेब्रिटीज़ ने शो में अपना एफर्ट नहीं लगाया । बिग बास को चाहिए कि एक बार केवल इण्डिया बालों को ही मौक़ा दें और देखे कि कितनी TRP शो को मिलती है ? सोचने की बात है कि एेसे गाँव देहात के लोगों को जिन्हें बोलने ,उठने ,बैठने, की तमीज़ नहीं है उनके रहन सहन को उनके विचारों को कोई क्यूँ देखेगा ?? बिग बास ने शुरू से ही मनवीर पर फ़ोकस किया है , हर मेहमान से पूछा जाता है तुम्हे कौन पसंद है और उसे बता दिया जाता है कि वो मनवीर का नाम ले ताकि जनता धीरे धीरे मनवीर की तरफ झुके जबकि मनवीर इस शो में लोपा, रोशन व बानी के मुक़ाबले कहीं स्टैंड नहीं करता । उसने हमेशा पक्षपात का रवैया रखा जब भी उसे मौक़ा मिला उसने पक्षपात करके इण्डिया वालों का पक्ष लिया जबकि लोपा रोहन सदैव फ़ेयर खेले । बिग बास चाहते है मनवीर को जिताना आज शाम देखना दिलचस्प होगा ?

Saturday 28 January 2017

नोटबंदी

पिछले वर्ष २०१६ में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा  " नोटबंदी "  ,जी हाँ यह वो साहसिक क़दम था जिसको लेना सरकार के लिए आसान न था, किंतु लिया गया .....देश हित के लिए , समाज हित के लिए , भारत के भविष्य के लिए ताकि भारत से भ्रष्टाचार रूपी दानव का संहार किया जा सके । ये इतना आसान भी नहीं है ,कुछ-कुछ रक्तबीज दैत्य जैसा है जिसकी एक भी बूँद ज़मीन पर पड़ते ही वैसे ही असंख्य दानव पैदा हो जाते हैं , इसलिए इसे समूल नष्ट करना आवश्यक है । सरकार के इस फ़ैसले से देश की जनता को असंख्य समस्याओं से जूझना पड़ा लोगों की ,सुवह से शाम लाइनों में बीतने लगी उसके बावजूद निर्धारित पैसा नहीं मिलता । जिन घरों में शादियाँ थीं उनकी स्थिति तो और भी दयनीय हो गई जो लोग पैसा निकाल चुके थे उनका वो पैसा बेकार हो गया क्यूँकि वो चलन से बाहर हो गया दूसरा निकालने के लिए जमा करेंगे तो वो बापस २४ हजार से अधिक निकाल नहीं पायेंगें ,शादी जैसे बड़े कार्य १०,२० या ५० हजार में नहीं होते ये तो सभी जानते है, हालाँकि मैंने समाचार पत्र में पढ़ा था कि जिस घर में शादी है उसका मुखिया ढाई लाख तक रूपया निकाल सकेगा किंतु लोग शादी का कार्ड लिए घूमते रहे उन्हे कोई पैसा नहीं मिला ,कोई अधिकारी किसी भी तरह की बैंक से सम्बंधित समस्या को सुनने के लिए तैयार ही नहीं था । ख़ैर ! जनता ने साहस के साथ इनका सामना किया हार नहीं मानी डटे रहे अंतत:ATM से बाहर लम्बी लाइनों का अंत हुआ, जीवन पुन: सामान्य हुआ ।
अब सवाल उठता है कि क्या नोटबंदी का वास्तव में फ़ायदा हुआ ?? क्या काला धन सामनें आया ?? क्या भ्रष्टाचार का अंत हुआ ?? लोगों ने रिश्वत लेना बंद कर दिया ?? नक़ली नोट छपने बंद हो गये ?? क्या आतंकियों पर इसका प्रभाव पड़ा ?? पेटीएम जैसी कम्पनियों ने छोटे छोटे ट्राजेंक्शन पर टैक्स लेकर ग़रीब इंसान को तंग किया । ०५ रू का सामान लेने पर ०२रू टैक्स देकर ०७रू का भुगतान करना पड़ा ,इन सब चीज़ों से ग़रीब इंसान को कैसे निजात दिलाई जाये ये सरकार को सोचना पड़ेगा । अनेकों सवाल हैं जिनका उत्तर भविष्य के गर्त में है, कि क्या नोटबंदी एक सही फ़ैसला था या नहीं ??

Thursday 26 January 2017

गणतंत्र दिवस

महारानी पद्मावती चित्तौड़ के महाराणा रत्न सिंह की पत्नी थी । वह अत्यंत खूबसूरत थी उनकी ख़ूबसूरती की चर्चा चारों तरफ थी । जब दिल्ली के शासक अलाउद्दीन ख़िलजी ने  रानी पद्मावती की सुंदरता के विषय में सुना तो वह उनको देखने के लिए बेताब हो गया , उसने अपनी इच्छा अपने मंत्रियों को बताई ,उन सब ने मिल कर एक योजना बनाई कि महाराणा रतन सिंह को मित्रता का संदेश भेजा जाय कि वह उनसे दोस्ती करना चाहते है किंतु बदले में उनकी पत्नी पद्मावती को देखना चाहेंगे । जब यह संदेश चित्तौड़ पहुँचा तो महाराणा की राजसभा में सभी ने इसका विरोध किया कि यह सम्भव नही किंतु कुछ मंत्रियों नें सुझाव दिया कि कूटनीति व राजनीति के तहत अगर उसकी मित्रता को ठुकरा दिया तो वो चित्तौड़ का शत्रु बन जायेगा जोकि राज्य हित में न होगा काफी विचार विमर्श के पश्चात यह रास्ता निकाला गया कि एक शीशा लगाया जाये और महारानी दूर से उसके सामने से निकल जायेंगीं और इस तरह ख़िलजी उन्हे देख लेगा और रानी को सामने भी नहीं आना पड़ेगा ,किंतु महारानी को इस तरह दिखाना सेनापति गोरा व उनके भतीजे बादल को स्वीकार नहीं था  और उन्होंने इसका विरोध किया ,किंतु उनकी नहीं सुनी गई जिससे वह नाराज़ हो कर सभा से चले गये । योजनानुसार रानी पद्मावती को शीशे में दिखाया गया, ख़िलजी रानी की सुंदरता को देखता ही रह गया उसनें आज तक ऐसी स्त्री नहीं देखी थी ।अब तो वह रानी को हर हाल मे हासिल करना चाहता था। उस दिन तो वह चला गया किंतु कुछ दिनों पश्चात उसनें महाराणा रतन सिंह को भोज पर बुलाया और उन्हे बंदी बना लिया इसके साथ ही एक संदेश चित्तौड़ भेजा कि यदि अपने राजा को सकुशल वापस चाहते हो तो रानी पद्मावती का डोला दिल्ली भेज दो नहीं तो तुम्हारे राणा का सर काट भेज देंगे । जब यह संदेशा चित्तौड़ पहुँचा तो राजपूतों की तलवारें खिंच गईं किंतु अब क्या किया जाये प्रश्न ये था ? महारानी पद्मावती ने गुप्तचरों को भेज कर पता लगवाया कि सेनापति गोरा कहाँ हैं ? पता चलते ही रानी वहाँ गई और सारा वृतांत सुनाया ,ये सब सुनकर सेनापति गोरा की भुजाएँ फड़कने लगीं आँखों में अंगार उतर आए और वह तत्काल महारानी के साथ महल आ गये। योजना बनाई ख़िलजी को संदेश भेजा कि रानी पद्मावती अपनी ७०० सेविकाओं के साथ आ रही है। ७०० डोली तैयार की गईं उनमें रानी व सेविकाओं की जगह वीर सैनिकों को बैठाया गया ,कहारो के भेष में सैनिक लगे इस तरह सेनापति गोरा व बादल अपनें वीर सैनिकों के साथ दिल्ली पहुँचे  ,ख़िलजी को संदेश भिजवाया कि रानी पद्मावती अपनी सेविकाओ के साथ आ गई है , किंतु उनकी शर्त है कि वह एक वार अपने पति से मिलना चाहती है उसके बाद वह ख़िलजी की सेवा में आ जायेंगीं, ख़िलजी तो यह जान कर ही वौरा गया कि रानी पद्मावती आ गई और उसने तुरंत आदेश दिया कि रानी को रतन सिंह से मिलवा दिया जाये इस तरह जब सेनापति महा राणा के सामने पहुँचे तो राणा की आँखों में आँसू आ गये और उन्होंने सेनापति गोरा को गले लगा लिया । राणा को सेनापति ने अपने कहार जोकि सैनिक थे के साथ वहाँ से बाहर निकाला किंतु ख़िलजी का सेनापति को भनक लग गई और उसने नगाड़े बज बा कर सैनिकों को सावधान किया फिर क्या था डोलियों से सैनिक निकल पड़े भयानक युद्ध हुआ जिसमें  सेनापति गोरा व बादल ने ख़िलजी की सेना को तब तक रोके रखा जब तक राणा रतन सिंह चित्तौड़ की सीमा में न पहुँच गये ,किंतु समय से समाचार न पहुँच पाने पर रानी को लगा कि योजना असफल हो गई तो उन्होंने १६००० हजार स्त्रियों के साथ जौहर ले लिया , ये अब तक का सबसे बड़ा जौहर था ।
अब प्रश्न ये है कि यदि कोई भी व्यक्ति इस गौरवशाली इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके रानी पद्मावती को किसी मुसलमान शासक के साथ प्रेम प्रसंग दिखाये तो क्रोध आना स्वाभाविक है। यह हमारा गौरवशाली इतिहास है जहाँ वलिदान राजपूतों की परम्परा रही है, स्त्रियाँ उनका स्वाभिमान है ,उनकी आवरू हैं । उनके व्यक्तित्व के साथ छेड़छाड़ कदापि स्वीकार नहीं ।
- वंदना सिंह

Wednesday 25 January 2017

बेटी

वो पढ़ेगी वो बढ़ेगी
नहीं वो रूकेगी
क़दम से क़दम मिला
आगे ही बढ़ेगी
वो भारत की बेटी है
अब न वो झुकेगी
अपने हक के लिए
दुनियाँ से लड़ेगी
   जय हिंद !
--वंदना सिंह
"राष्ट्रीय बालिका दिवस" पर देश की समस्त बालिकाओं को समर्पित

Monday 23 January 2017

नेता जी का जन्मदिन

आज महान नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म दिन है । देश में कुछ हो रहा है उनको याद करके पता नही ???
इतनी उदासीनता एक राष्ट्र नायक के प्रति क्यूँ  ?
जय हिंद !

Saturday 14 January 2017

संक्रान्ति

संक्रान्ति ---
सूर्य की आराधना का दिन
ऋतु परिवर्तन का दिन
उल्लास के आरम्भ का दिन
नयी उमंग व आनंद का दिन
फ़सल की कटाई का दिन
पतंगों को उड़ाने का दिन
मौज मस्ती का दिन
सर्दी की विदाई का दिन
आज है संक्रान्ति का दिन ।

-वंदना सिंह
(कापी राईट सुरक्षित)

Monday 9 January 2017

हे काली माँ

हे जग की जग माता
शक्ति स्वरूपा दुर्गा माँ
करूणावतार विष्णुप्रिया
हे काली माँ तुझे प्रणाम !

दे दो शक्ति तुम आज मुझे
कर दूँ दुश्मन का चीर -फाड़
सुसज्जित कर अस्त्रों से मुझे
दे दे अपनी तू दृष्टि मुझे
जो कू दृष्टि नारी पर डाले
कर दूँ उसका समूल नाश
हे काली माँ तुझे प्रणाम !

चाहूँगी मैं आशीष तेरा
हर नारी के लिए आज
बन जाए वो चामुण्डा माँ
गर छुए कोई दूषित हाथ
मुण्ड -मुण्ड खण्डित कर दे
फिर न जन्में कोई चण्ड यहाँ
हे काली माँ तुझे प्रणाम !
हे जग की जग माता
शक्तिस्वरूपा दुर्गा माँ
करूणावतार विष्णुप्रिया
हे काली माँ तुझे प्रणाम !

वंदना सिंह
(कापी राईट सुरक्षित)

Sunday 1 January 2017

मेरे सभी पाठकों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ