Wednesday 9 December 2015

ज़िद्दी मक्खी

लोग चींटी के परिश्रम का उदाहरण देकर लोगों को परिश्रम। का पाठ पढ़ाते हैं,किंतु आज मैने एक ज़िद्दी मक्खी को देखा ,मैं अपनी टेवल पर कुछ काम कर रही थी एक मक्खी वार वार आकर मुझे परेशान कर रही थी,मैं उसे वार वार भगाती किंतु वो एक मिनट बाद फिर आ जाती।कभी वो पेन पर बैठती तो कभी मेरे वालों पर,मैं जब काफी परेशान हो गई तो मैने सोचा इसे किताब से मार दूँ पर मेरे अंतर्मन ने मुझे एेसा करने से रोंका,मैने काम करना बंद कर दियाऔर उसको देखने लगी वो मेरे आसपास उड़ती और दोबारा बापस मेरे हाथ ,बाल या चेहरे पर ही बैठने का प्रयत्न करती।सच उसकी लग्न व हिम्मत की मैं दाद देतीं हूँ ,वो अपने लक्ष्य के प्रति कितनी दृढ़ प्रतिज्ञ थी,शायद वो मुझे चैलेंज कर रही थी कि तुम चाहे जितना प्रयत्न कर लो,मैं तुम्हारे ऊपर बैठ कर ही रहूँगी ,इसके लिये वो ख़तरा भी मोल ले रही थी अनुमानतह उसके मन में भय भी था कि कहीं मैं उसे मार न दूँ किंतु फिर भी वो अपने लक्ष्य से नहीं भटकी,अपनी ज़िद पर डटी रही,आख़िर में मुझे वहाँ से हटना पड़ा ।यहाँ मैं यही कहना चाहूँगी कि चाहे कितना भी मार्ग कठिन हो अपने लक्ष्य के लिये ज़िद करो ,मक्खी की भाँति ।

2 comments:

  1. अगर मेरा ब्लाग अच्छा लगे तो कृपया टिप्पणी दें

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