Monday 19 September 2016

माँ ने तुम्हे बुलाया है

माँ ने तुम्हे बुलाया है
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एे भारत के वीर सपूतों
आज वक़्त फिर आया है
अपना शौर्य दिखानें को
माँ ने तुम्हे बुलाया है !

बहुत बलिदानों से मैंने
तुम सब को पाया है
आज़ाद हवा मिल सके तुम्हे
अपनों ने रक्त बहाया है !

यातना ऐसी ऐसी पायीं
जो तुम सोंच नहीं सकते
इसको अखण्ड रखने की ख़ातिर
मैंने रक्त पिलाया है !

नाम एक लूँ भगत सिंह
सुभाष या गाँधी का
बिस्मिल व अश्फ़ाक उल्ला
इन सबने ख़ून बहाया है !

और नहीं अब वहे रक्त
मेरे वीर सैनिकों का
शपथ आज लो मेरी तुम सब
तुम्हे मैने दूध पिलाया है !

चित्कार नहीं अब आये कोई
सीमा से मेरे पूतों की
बूढ़ी माँ के सीनें में
फिर से दूध उतर आया है !

ऐ भारत के वीर सपूतों
आज वक़्त फिर आया है
अपना शौर्य दिखानें को
माँ ने तुम्हे बुलाया है !
  वंदना सिंह
(कापी राईट सुरक्षित)