महाराणा प्रताप व अकबर की सेना के साथ जब हल्दी घाटी में युद्ध हुआ तब मुग़ल शासक की फ़ौज बडी व आधुनिक शस्त्रों से सुसज्जित थी । उसके सेनापति मान सिंह थे जो कि हाथी पर सवार थे । दोनों सेनाओं में लगभग ६ घण्टे युद्ध हुआ । महाराणा ने अपनें घोड़े को हाथी का मुखौटा लगा रखा था, मान सिंह को हाथी पर देख राणा ने चेतक को एड लगाई चेतक मान सिंह के हाथी के मस्तक पर चढ़ गया किंतु मान सिंह हौदे में छिप गया और उसका महावत मारा गया चेतक के मुखौटे में तलवार बंधी थी ,नीचे उतरते समय चेतक का उस तलवार से पैर कट गया और महाराणा दुश्मनों से घिर गये परंतु उनके वफ़ादार सरदार झाला मान सिंह उन तक पहुँच गये और उन्होंने ज़बरदस्ती राणा का मुकुट अपनें सर पर रख कर अकबर की सेना को भ्रमित कर दिया और राणा को वहाँ से निकाल दिया ,चेतक महाराणा को वहाँ से घायल अवस्था में भी सुरक्षित स्थान तक ले गया अंतत: उसकी मृत्यु हो गई । महाराणा ने उस का अंतिम संस्कार किया बाद में उसकी वहीं पर समाधि बनवाई , वह स्थान हल्दीघाटी से लगभग ५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।
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