Friday 10 February 2017

हवाओं को पता न चले

फूलों से सीखा मैंने
देखो मुस्काना
हवाओं को पता न चले
तुम धीरे से आना
  गरम है घर की छत
  तुम पायल न छनकाना
  हाथों की चूड़ी को
  चूनर से ढक आना
हवाओं को पता न चले
तुम धीरे से आना
फूलों से सीखा मैंने
देखो मुस्काना
  खिड़की पर अपनी तुम
  बालों को सुलझाना
  बिंदिया चमके माथे पर
  लगा के काजल आना
हवाओं को पता न चले
तुम धीरे से आना
फूलों से सीखा मैने
देखो मुस्काना
  लहंगा चोली चूनर
  पहन के तुम आना
  पायल चूड़ी बिंदी काजल
  इनको भी ले आना
हवाओं को पता न चलें
तुम धीरे से आना
फूलों से सीखा मैंने
देखो मुस्काना !
-वंदना सिंह


  

No comments:

Post a Comment