पर्स, साड़ी या एक किताब भेज दूँ
ज़्यादातर एेसा ही तोहफ़ा दिया जाता है
और मदर्स डे मना लिया जाता है
माँ इन तोहफ़ों में अपनी संतान देखती है
ख़ुश होती है,चूमती है,सीने से लगाती है
उसकी आँखें भीगी हैं पर ओठों पर मुस्कान है
अतीत में डूबती उतराती न जानें कहाँ खो जाती है
उसकी ममता तोहफ़ों से ज्यादा संतान को ढूँढती है ।
वंदना सिंह
(कापी राईट सुरक्षित)
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